अपना अस्तित्व रखना है दीये की रौशनी जलती अगर; हर बूँद तेल की रखिये संजोकर, रखना है पर्यावरण स्वस्थ अगर, कुदरत से चलिए मेल बनाकर, सही संतुलन होगा अगर, बन जाएगा स्वर्ग धरा पर; राजश्री २८/०८/2008
प्रभू का नाम करना है जीवन नैय्या का उद्धार, प्रभू का नाम ही है जिससे होगा बेडा पार ; गीता महाभारत ही हैं पथप्रदर्शक, जिनके उपदेशों से होगा जीवन सार्थक; दिखायेंगे ये रोशनी अज्ञानता के अँधेरे में, सुझायेंगे राह संबंधों के अजब घेरों में; जिससे कर सकें अपने कर्तव्य पूरे सभी, कभी बहके कदम तो थाम लेंगे इनका दामन तभी; अपनी संतानों को भी थमा सकें ये मशाल, जो रखे उन्हें हर हाल में खुशहाल; गुज़ार सकें वे जिंदगानी जो दे उन्हें रूहानी सुकून ; कर सकें वे रहनुमाई अपने नौनिहालों की भी , सोचें जो सभी एक बार, कायम रख सकें हम अपने संस्कार; होगा ये विश्व "वासुदेव कुटुम्बकम" तभी, ख़ुशी ख़ुशी जी पाएंगे ये जिंदगानी सभी; ~ राजश्री
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