संदेश

अगस्त, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
अपना अस्तित्व रखना है दीये की रौशनी जलती अगर; हर बूँद तेल की रखिये संजोकर, रखना है पर्यावरण स्वस्थ अगर, कुदरत से चलिए मेल बनाकर, सही संतुलन होगा अगर, बन जाएगा स्वर्ग धरा पर; राजश्री २८/०८/2008
चित्र
मेरे फ़रिश्ते सबसे कीमती था वो पल मेरी ज़िन्दगी का, जब मेरी दुनिया में मेरे लाल आए, मेरे सपनों को साकार करने मेरे दो फ़रिश्ते आए; उनके कोमल हाथों को पकड़ उन्हें चलना सिखाया मैंने; उन्हें कहानियाँ कहकर उनमे जीवन के मूल्यों को भरा मैंने; आज जब वे बड़े होकर कोई ईनाम पाते हैं, गर्व से मेरा सीना फूल जाता है; जब कोई तारीफ़ करता उनकी मुझे उनपे गुरूर आता है; खुदा करे फूले फलें वे सदा; नाज़ करे ये देश जिसमे ये हुए पैदा; राजश्री २३/०८/२००८
चित्र
महबूब का प्यार बड़ी मुद्दतसे था जिसका इंतज़ार आ गई वो घड़ी जब मुझे मिला मेरे महबूब का प्यार; हासिल करना था उन्हे बहुत दुश्वार लगता था मेरे दामन में हैं खार ही खार; जब भी देखती उन्हें नज़रें वो फेर लेते थे चलते -चलते अपने रस्ते का रुख मोड़ लेते थे; ज़बां उनका नाम भी लेती तो वे दास्ताँ किसी और की छेड़ देते थे; थक गई थी की कभी न मिलेगी उनसे तवज्जोह, मान लिया था की छोड़ना पड़ेगा ये सम्मोह; न जाने क्या हुआ अचानक मेरे में जीवन कहाँ से बदली छाई; जो निगाह में उनकी मोह्हब्बत मेरी रंग लाई; हुआ मेरी आशिकी का उनपे असर, उनके दिल में मैंने भी जगह पाई; ~ राजश्री २०/०८/२००८