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Raj Dulara

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राज दुलारा   योहान ने जब ली अंगड़ाई ,आँखों में बदली सी छा ई         प्रज्ञा सी ऑंखें मुस्काई ,इस दिल में बजी शहनाई        ख़ुशी मिली इतनी सारी ,मैं जाऊँ उसपर बलिहारी बांकी सी मुस्कान है प्यारी,झलक है अंकित की अति न्यारी  टपका शहद उसके गानों से,मिसरी सी घुली कानों में    खिले गुलाब उसके गालों में,घनी घटा जैसे बालों में     धन धन धन धन भाग हमारे ,झिलमिल तारे आये द्वारे  फूले फले उड़ान भरें वो ,कर दें रोशन चाँद सितारे
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      आँगन     बगिया में कुछ फूल खिले हैं ,महका है घर का आँगन  सूखी  धरती पर जैसे रिमझिम बरसा हो सावन नया बन गया पत्ता पत्ता धुल सा गयाहै  गुलशन नया रूप लिया इस आँगन ने बन गया सुंदर उपवन ,  महकती रहे ये फुलवारी आहान  अमाया से सुमन  खिलें चहचहाती रहे बगिया पंछी ऊंची उड़ान भरें प्रेमरस की हो फुहार सुखशांति फूलेफले . शीतलता हो मन्दिर सी महकती बयार चले मधुरता हो रिश्तों में एक दूजे से स्नेह रहे आस्था रहे ईश्वर में सदा उसी का ध्यान करें यही प्रार्थना है प्रभुआप  इसे वह स्वीकार करें ; rajshree  

छोटी बहन

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      मेरी सहेली है वो मेरी हमजोली है वो थोड़ी शर्मीली और थोड़ी हठीली है वो, बचपन से ही मेरे संग खेली है , बड़ी अनोखी और बहुत अलबेली है ; मन में है उसके, सबके लिए स्नेह भरा, सेवा करके सबकी उसने है पुण्य करा, मेरा दिल उसके लिए है गौरव से भरा, रहे उसका जीवन सदा खुशियों से भरा; चाव से बनाकर खाना सबको खिलाती है वो, मदद करती सबकी सबके मन भाती है वो, प्यार भरी सौगात सबके लिए लाती है , जहां भी जाती है , खुशियाँ ले जाती है ;

Tiranga

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तिरंगा ग़र दें साथ हम देश की हुंकार का देखें कौन करता है सामना शेर की दहाड़ का आरक्षण हटाकर बनाएं सबको समान मिटायें आतंक का नामोनिशान , मिलें अधिकार सभीको फ़र्ज़ हों सबके समान खिलखिलाएं यहाँ बच्चों की मुस्कान, मिटायें निशाँ जुर्म और अत्याचार का जलाएं ज्ञान का दिया सफाया करें अंधकार का बढती रहे भारतमाता की शान जिसके लिए शहीदों ने दिए बलिदान लहलहायें खेत और खलिहान तरक्की करें इस देश के नौजवान , आओ मिटायें कलंक भ्रष्टाचार का और फहराएं तिरंगा सदाचार का । ------

मेरी बहना

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मेरी बहना परदेस में रहती है मेरी एक बहना उससे है मुझको इतना ही कहना , रहे खुश सदा मुस्कुराती रहे वो मुरादें हों पूरी ,खिलखिलाती रहे वो न भूलें फूल उसकी क्यारी में महकना खनकाती रहे वो हीरों के कंगना दिलों में सबकी जगह पाए वो मिले मान उसको जिधर जाए वो संबंधों में पाए कभी भी गम ना छोटी बहिन का है उससे कहना समझती है रिश्तों का मोल वो रखती है उनको संजो के सदा वो साथ देते हैं उसका सदा उसके सजना पूरा हो दोनों का हर एक सपना ;

प्रज्ञा आई

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चढ़ा घोड़े पे अंकित और बजी शहनाई ,पहन कर चुनरी हौले से प्रज्ञा आई ; मुदित हुए सब घर में रोशनी सी छाई ,पड़े शुभ कदम घर में लक्ष्मी आई ; है सबका आशीष खुश रहें वे सदा ,उठाएं ज़िन्दगी का पूरा मज़ा ; खुशियाँ लें उनके आँगन में अंगडाई ,आसमान की छूएं वो ऊंचाई; उतरे खरे कसौटी पे एक दुसरे की वो सदा ,खुदा पूरी करे उनकी हर रज़ा; भक्ति पार्क में चांदनी सी छाई ,जहाँ उन्होंने दुनिया है बसाई ;

सुहानी भोर

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थी सागर तट की सुहानी भोर ;सुनाई दे रहा था लहरों का शोर कहीं थी चांदी कहीं था सोना ,धरा था जल ने रूप सलोना ; गुनगुनाते मांझी खींचे जा रहे थे डोर ,देख कर मै हुई विभोर ; लग रहा था सूरज नभ का दिठौना,छोड़ा था पंछियों नेअपना बिछौना थिरक रहीं थीँ मछलियाँ चहुँ ओर ,ज़्युँ नाचे जंगल में मोर ;