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अप्रैल, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

और बरसा पानी

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रुई के फाहे से बादलजब नीले नभ पर छाये ; किसान ने अपनी पलकों पर सुंदर सपने सजाये ; जोता खेत लग कर उसने पूरी की मशक्कत ; बोये बीज धरा पर उसने कि गया वो थक ; कड़ी धूप में खड़े रहकर की उसने मेहनत; था पूरा परिश्रमी इसमें नहीं कोई शक; कहीं से आया मेघ का टुकड़ाऔर झमाझम बरसा पानी ; साकार हुआ सपना उसका उग आयी फसल धानी; हरी हरी फसल देखकर हुआ प्रफुल्लित किसान ; पड़गयी उसके सूखे अस्थिपंजर में जान ; धन्यवाद किया प्रभु का कहा "तू है कितना महान" जो तुने इस गरीब पर भी दिया ध्यान ; नैनों में उसके ख़ुशी के आंसू भर आये ; अपने सूखे होठों से फिर उसने प्रभु के गीत गाये;

उड़ान

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उड़ान; चलों उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ; पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार , उड़ेंगे हिम के पर्वतों पे ,नीले गगन में , खुली हवा में उड़कर पहुंचेंगे चमन में ; निहारेंगे नभ से धरा का संसार , पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार; चुगेंगे मोतियों से दाने हरे -हरे खेतों से , झूलेंगे हम डालियों पे बड़े -बड़े पेड़ों पे , देखेंगे निकट की चमन की बहार ; पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार , चलो उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ; देखेंगे गगन से नीला नदिया का पानी , तैरती बत्तख उसमें और मछली रानी , आएंगे सूरज ढले ,नदिया के पार , जैसेआये पंछी शाम को थक हार ; चलो उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ; पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार;

एहसास

एहसास- कभी होता है एहसास की रह गयी हूँ अकेली ; फिर सोचती हूँ की इंसान आता है अकेला और जाता है तनहा ; बनते रहतेंहैं रिश्ते जिनमे छूटते रहते हैं के बनते रहते हैं नए भी ; अंत में रह जाती हैं कुछ यादें जो अलग एहसास छोड़ जातींहैं ; जीवन तो एक सफ़र है एक मौका कुदरत का, जिनमे इन रिश्तों के साथ जीना है एक सार्थक ज़िन्दगी , जो जाते समय दे एक सुकून की सही तरह जी पाए ये ज़िन्दगी ; कर पाए अपने फ़र्ज़ पूरे सभी और दे पाए जहाँ को कुछ ऐसा जिसने , दिया मेरे अपनों को एक गर्व का एहसास;

कहाँ से तू आया

कहाँ से तू आया ; कहाँ से तू आया प्राणी?कहाँ पे तू जायेगा ? इस भेद को ओ मानुष न तू जान पायेगा , हाथ में है तेरा जीवन इसे संवार ले रे बन्दे ; बंद कर दे तू अपने बुरे गोरख -धंधे ; जो न कहा तूने माना तो तू पछतायेगा ; फिर किस तरह से तू आत्म तुष्टि पायेगा ? कहाँ से तू आया प्राणी ?कहाँ पे तू जायेगा ? इस भेद को ओं मानुष न तू जान पायेगा ; हर जीव में जो देखे प्रभु के रूप को तू बन्दे । कोई असर नहीं करेंगे मोहमाया के फंदे , "गीता के सन्देश "को तू जो अपनाएगा , फिर तो इस भवसागर से पार उतर जायेगा ; कहाँ से तू आया प्राणी ?कहाँ पे तू जाएगा ? इस भेद को ओ मानुष न तू जान पायेगा; राजश्री '

भैय्या राजा

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भैय्या राजा; हज़ारों में एक है मेरा भैय्या राजा, बांटा है उसके साथ सुख -दुःख साझा; अपनी जान लुटाता है, जब भी याद करती हूँ, मुझसे मिलने आता है, राखी ,टीके की लाज वो निभाता है, है बहोत भोला वो मेरे मन को भाता है; क्रिकेट का शौक़ीन है मेरे भैय्या राजा, बांटा है उसके साथ अपना सुख -दुःख साझा; खुदा करे लम्बी उम्र हो उसकी, अपने अरमान पूरे करे वो सदा, प्यार बना रहे हम भाई -बहनों में, यही ईश्वरसे करती हूँ दुआ; बहुत ही ज़हीन है मेरा भैय्या राजा, बांटा है उसके साथ सुख -दुःख साझा;

माँ का आँचल

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माँ का आँचल; कैसे करें उस माँ की ममता का बखान, कैसे बताएं कि वो कितनी थीं महान; तिनके बटोर सिखाया बनाना संसार, बचपन में दिए हमें संस्कार, सिखाया हमे जोड़ना परिवार, किस तरह मनकों से बनता है सुंदर हार; सिखाया करना गुज़ारा गर नहीं हो बहुत,हो थोडा ; जाये कैसे परिवार के रिश्तेसंबंधों को जोड़ा ; जीवन के मूल्यों को दिया ऊँचा स्थान, सिखाया बुजुर्गों को देना सम्मान; तपती धूप में दिया अपना आँचल पसार, उनकी नज़रों में थे सबके लिए आशीष बेशुमार, थपकियाँ देके सुलाया जब हमे था बुखार, याद आता है उनका स्नेह भरा स्पर्श बार बार; किस तरह बचाया जब था आंधी तूफ़ान, किस तरह बताएं कि वो कितनी थीं महान;