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मार्च, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रभु का नाम

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प्रभू का नाम करना है जीवन नैय्या का उद्धार, प्रभू का नाम ही है जिससे होगा बेडा पार ; गीता महाभारत ही हैं पथप्रदर्शक, जिनके उपदेशों से होगा जीवन सार्थक; दिखायेंगे ये रोशनी अज्ञानता के अँधेरे में, सुझायेंगे राह संबंधों के अजब घेरों में; जिससे कर सकें अपने कर्तव्य पूरे सभी, कभी बहके कदम तो थाम लेंगे इनका दामन तभी; अपनी संतानों को भी थमा सकें ये मशाल, जो रखे उन्हें हर हाल में खुशहाल; गुज़ार सकें वे जिंदगानी जो दे उन्हें रूहानी सुकून ; कर सकें वे रहनुमाई अपने नौनिहालों की भी , सोचें जो सभी एक बार, कायम रख सकें हम अपने संस्कार; होगा ये विश्व "वासुदेव कुटुम्बकम" तभी, ख़ुशी ख़ुशी जी पाएंगे ये जिंदगानी सभी; ~ राजश्री

मेरे पिता

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मेरे पिता हाथ पकड़ जिन्होंने नाम लिखना सिखाया, तोतली जुबां को सही बोलना सिखाया; कभी खिलाया, कभी बहलाया और कभी हँसाया, उंगलियाँ थाम हमें सड़क पार करना सिखाया; ऐसे थे मेरे पिता हँसते थे सदा, खुश रखते थे हम भाई बहनों को सर्वदा; प्रतीक बने एक संघर्ष शील व्यक्ति का, मुसीबतों में भी जो मुस्कुराता रहा, धूप छांव भरे इस जीवन में परेशानियों में हमें ढाढस बंधाता रहा; नींद आने पर अपनी बाहों के झूले में झुलाया, भूखे होने पर अपने हाथों से निवाला खिलाया; परीक्षा के समय साथ बैठ प्रश्नों का उत्तर समझाया, जब भी जरूरत हुई उन्हें अपने इर्द गिर्द ही पाया; स्नेह भरा उनका हाथ अपने सिरपर महसूस होता है सर्वदा, ऐसे पिता को याद करता है मेरा मन सदा;

एक रोमांटिक शाम

एक रोमांटिक शाम हम और तुम और ये समाँ; प्यार जगा जगा सा है; बोलीये न बोलीये, सब कहा कहा सा है, पास में है बाग़ सा, जहां खिले हैं चंदफूल, देखिये न देखिये यहां खिला, खिला सा है; हम चलेंगे राह पर, डूबेंगे और प्यार में, इस सुहानी शाम में, रोमांस भरा - भरा सा है, चाँद है शबाब पर, छिटकी है चाँदनी, चाँदनी में देखिये, सब धुला - धुला सा है।

लोधी गार्डेन

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लोधी गार्डेन, रंग रंग के फूल यहाँ पर, भांति भांति के लोग, कोई लगाये दौड़ यहाँ पर, कोई करे है योग; कहीं कर रहा कोई कसरत, कोई चुग रहा दाना, कोई चाय के घूँट भर रहा, कोई खा रहा खाना; प्रवचन कोई सुना रहा, कोई गा रहा गाना; किसी को ठहाके लगाकर है अपना स्वास्थ्य बनाना; बच्चों को लेकर आया है तरह तरह के खेल खिलाने; सिर्फ चक्कर लगाने आया कोई, किसीको हैं संपर्क बढ़ाने; पढ़ रहा अख़बार किसीको हैं गप्पे लड़ाने; बेच रहा दवाएं कोई, कोई आया रोमांस लड़ाने; पहन ट्रैकसूटआया कोई, किसी ने पहनी साड़ी रंगीली, किसी को भली लगे है पेंट पर कुर्ती चमकीली; सुबह की रौनक देख यहाँ की चकित हो गयी आंख हमारी; लोधी गार्डेन कहते हैं इसको ये है हमारी ज़न्नत न्यारी; राजश्री

हमारा संकल्प

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हमारा संकल्प हरी भरी धरती ने देखो मोह लिया मन मेरा, नृत्य मयूर का देख मुग्ध हुआ मन मेरा, खिलते फूल नाचते भँवरे लुभा गए मुझको, बहते झरने, कूकती कोयल गुदगुदा गए मुझको । देख बादलों से भरा ये गगन, झूम झूम गया मेरा मन, देख तैरती चंचल मछलियाँ जल में, कुछ ऐसा ख़याल आया मेरे मन में, जिस दिलेरी से सृष्टि ने बिखेरी ये सम्पदा धरा पर, उसी क्रूरता से नष्ट किया हमने उसे यहाँ पर, काट वृक्षों को दिए हैं हमने ज़ख्म, पौली बैग से घुट रहा इसका दम। आओ उऋण हो जाएँ सृष्टि के वरदानों से, फिर से संवारे इसे साथमिल किसानों के, फिर धरती दुल्हन सी संवर जाएगी , हर ओर इसकी मुस्काती छवि नज़र आयेगी।

सृजन

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सृजन : बिखरे हैं कुछ बीज धरा पर, कुछ पड़ेगी धूप, मेघों से बरसेगा जल, सृजन होगा एक पौधे का और आयेगी बहार। खिलेंगे फूल जब उस पर, खिलखिलाएगी हंसी सृष्टि के लबों पर , प्रफुल्लित होगा संसार। यूँ ही जब जन्म हुआ एक जिंदगी का, खिलखिलाई हंसी लबों पर जननी के, भरा जीवन के मूल्यों को उसमें , जिससे हुआ मानवता का उद्धार ;