उड़ान
उड़ान; चलों उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ;
पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार ,
उड़ेंगे हिम के पर्वतों पे ,नीले गगन में ,
खुली हवा में उड़कर पहुंचेंगे चमन में ;
निहारेंगे नभ से धरा का संसार ,
पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार;
चुगेंगे मोतियों से दाने हरे -हरे खेतों से ,
झूलेंगे हम डालियों पे बड़े -बड़े पेड़ों पे ,
देखेंगे निकट की चमन की बहार ;
पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार ,
चलो उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ;
देखेंगे गगन से नीला नदिया का पानी ,
तैरती बत्तख उसमें और मछली रानी ,
आएंगे सूरज ढले ,नदिया के पार ,
जैसेआये पंछी शाम को थक हार ;
चलो उड़ चलें श्यामल बादलों के पार ;
पंछियों की तरह नन्हे पंख पसार;
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