आँगन
सूखी धरती पर जैसे रिमझिम बरसा हो सावन
नया बन गया पत्ता पत्ता धुल सा गयाहै गुलशन
नया रूप लिया इस आँगन ने बन गया सुंदर उपवन ,
महकती रहे ये फुलवारी आहान अमाया से सुमन खिलें
चहचहाती रहे बगिया पंछी ऊंची उड़ान भरें
प्रेमरस की हो फुहार सुखशांति फूलेफले .
शीतलता हो मन्दिर सी महकती बयार चले
मधुरता हो रिश्तों में एक दूजे से स्नेह रहे
आस्था रहे ईश्वर में सदा उसी का ध्यान करें
यही प्रार्थना है प्रभुआप इसे वह स्वीकार करें ;
rajshree
टिप्पणियाँ