अपना अस्तित्व
रखना है दीये की रौशनी जलती अगर;
हर बूँद तेल की रखिये संजोकर,
रखना है पर्यावरण स्वस्थ अगर,
कुदरत से चलिए मेल बनाकर,
सही संतुलन होगा अगर,
रखना है दीये की रौशनी जलती अगर;
हर बूँद तेल की रखिये संजोकर,
रखना है पर्यावरण स्वस्थ अगर,
कुदरत से चलिए मेल बनाकर,
सही संतुलन होगा अगर,
बन जाएगा स्वर्ग धरा पर;
राजश्री २८/०८/2008
राजश्री २८/०८/2008
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