मेरे पिता हाथ पकड़ जिन्होंने नाम लिखना सिखाया, तोतली जुबां को सही बोलना सिखाया; कभी खिलाया, कभी बहलाया और कभी हँसाया, उंगलियाँ थाम हमें सड़क पार करना सिखाया; ऐसे थे मेरे पिता हँसते थे सदा, खुश रखते थे हम भाई बहनों को सर्वदा; प्रतीक बने एक संघर्ष शील व्यक्ति का, मुसीबतों में भी जो मुस्कुराता रहा, धूप छांव भरे इस जीवन में परेशानियों में हमें ढाढस बंधाता रहा; नींद आने पर अपनी बाहों के झूले में झुलाया, भूखे होने पर अपने हाथों से निवाला खिलाया; परीक्षा के समय साथ बैठ प्रश्नों का उत्तर समझाया, जब भी जरूरत हुई उन्हें अपने इर्द गिर्द ही पाया; स्नेह भरा उनका हाथ अपने सिरपर महसूस होता है सर्वदा, ऐसे पिता को याद करता है मेरा मन सदा;
मेरी बहना परदेस में रहती है मेरी एक बहना उससे है मुझको इतना ही कहना , रहे खुश सदा मुस्कुराती रहे वो मुरादें हों पूरी ,खिलखिलाती रहे वो न भूलें फूल उसकी क्यारी में महकना खनकाती रहे वो हीरों के कंगना दिलों में सबकी जगह पाए वो मिले मान उसको जिधर जाए वो संबंधों में पाए कभी भी गम ना छोटी बहिन का है उससे कहना समझती है रिश्तों का मोल वो रखती है उनको संजो के सदा वो साथ देते हैं उसका सदा उसके सजना पूरा हो दोनों का हर एक सपना ;
आँगन बगिया में कुछ फूल खिले हैं ,महका है घर का आँगन सूखी धरती पर जैसे रिमझिम बरसा हो सावन नया बन गया पत्ता पत्ता धुल सा गयाहै गुलशन नया रूप लिया इस आँगन ने बन गया सुंदर उपवन , महकती रहे ये फुलवारी आहान अमाया से सुमन खिलें चहचहाती रहे बगिया पंछी ऊंची उड़ान भरें प्रेमरस की हो फुहार सुखशांति फूलेफले . शीतलता हो मन्दिर सी महकती बयार चले मधुरता हो रिश्तों में एक दूजे से स्नेह रहे आस्था रहे ईश्वर में सदा उसी का ध्यान करें यही प्रार्थना है प्रभुआप इसे वह स्वीकार करें ; rajshree
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