प्रज्ञा आई
चढ़ा घोड़े पे अंकित और बजी शहनाई ,पहन कर चुनरी हौले से प्रज्ञा आई ;
मुदित हुए सब घर में रोशनी सी छाई ,पड़े शुभ कदम घर में लक्ष्मी आई ;
है सबका आशीष खुश रहें वे सदा ,उठाएं ज़िन्दगी का पूरा मज़ा ;
खुशियाँ लें उनके आँगन में अंगडाई ,आसमान की छूएं वो ऊंचाई;
उतरे खरे कसौटी पे एक दुसरे की वो सदा ,खुदा पूरी करे उनकी हर रज़ा;
भक्ति पार्क में चांदनी सी छाई ,जहाँ उन्होंने दुनिया है बसाई;
टिप्पणियाँ
aapke ghar "Pragya Aai"
Aashirwadon ne choo liya hai mann
Ehsaason se bhare hain apke aashirvachan...
Bahu ka swagat aapne bahut hi pyaare shabdon mei kiya hai..