सच्ची दिवाली कैसी ये दिवाली है ? जल रहा है देश, लगती है दिल को ठेस, आरती उतारी जा रही रावणों की, जबकि दीवाली तो थी बुराई पर अच्छाई की विजय, आज लगता है बुराई का बोलबाला है, हे राम !ये क्या गड़बड़ घोटाला है ? क्यों नही दिया जाता वनवास ऐसे रावणों को? जो मनाते हैं दीवाली बसों को जलाकर, जलाते हैं पटाखे लोगों के बीच फर्क लाकर, खाते हैं मिठाई लोगों के मुहं से रोटी छीनकर; काश, हम ही चलें उस राम की राहपर जिससे हो देश का भला, दूर हो जाए लोगों के बीच ये फासला; आओ मनाएँ ऐसी दीवाली जो मिटा दे दूरियां सभी, भाई भाई की तरह रहें और कहलायें "भारतीय" सभी, मानेगी इस देश की असली दीवाली तभी. राजश्री २४ / १० / २००८
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मेरे फ़रिश्ते सबसे कीमती था वो पल मेरी ज़िन्दगी का, जब मेरी दुनिया में मेरे लाल आए, मेरे सपनों को साकार करने मेरे दो फ़रिश्ते आए; उनके कोमल हाथों को पकड़ उन्हें चलना सिखाया मैंने; उन्हें कहानियाँ कहकर उनमे जीवन के मूल्यों को भरा मैंने; आज जब वे बड़े होकर कोई ईनाम पाते हैं, गर्व से मेरा सीना फूल जाता है; जब कोई तारीफ़ करता उनकी मुझे उनपे गुरूर आता है; खुदा करे फूले फलें वे सदा; नाज़ करे ये देश जिसमे ये हुए पैदा; राजश्री २३/०८/२००८
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महबूब का प्यार बड़ी मुद्दतसे था जिसका इंतज़ार आ गई वो घड़ी जब मुझे मिला मेरे महबूब का प्यार; हासिल करना था उन्हे बहुत दुश्वार लगता था मेरे दामन में हैं खार ही खार; जब भी देखती उन्हें नज़रें वो फेर लेते थे चलते -चलते अपने रस्ते का रुख मोड़ लेते थे; ज़बां उनका नाम भी लेती तो वे दास्ताँ किसी और की छेड़ देते थे; थक गई थी की कभी न मिलेगी उनसे तवज्जोह, मान लिया था की छोड़ना पड़ेगा ये सम्मोह; न जाने क्या हुआ अचानक मेरे में जीवन कहाँ से बदली छाई; जो निगाह में उनकी मोह्हब्बत मेरी रंग लाई; हुआ मेरी आशिकी का उनपे असर, उनके दिल में मैंने भी जगह पाई; ~ राजश्री २०/०८/२००८
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नन्ही परी 'बड़ी मुश्किल से देखो ये घड़ी आई है '; आज मेरे घर एक नन्ही परी आई है; लेकर आई है ढेरों सपने और अरमान; दोनों कुलों का वो बढाएगी मान; जब भी हँसेगी और मुस्कुराएगी मेरे नन्हे से घर में जान आ जायेगी, किलकारियों से गूंजेगा मेरा आँगन मेरी दुनिया में फ़िर से बहार आएगी; न जाने किसकी दुआ ऐसा रंग लाई है, आज मेरे घर एक नन्ही परी आई है; राजश्री १७/७ २००८ मेरी बहु कीर्ति को समर्पित